लोहाघाट। राज्य सरकार द्वारा जिले के लोहाघाट और टनकपुर में ट्रामा सेंटर किस मुहूर्त में खोले गए कि इनमें दस वर्षों के दौरान क्षेत्रीय लोगों को विशेष चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाई।वर्ष 2006 में आधुनिक सुविधायुक्त आपात चिकित्सा केंद्र ट्रामा सेंटर लोहाघाट एवं टनकपुर में खोलने की स्वीकृति मिली थी।जिसके लिए भवन निर्माण के लिए 64.29 लाख एक भवन के लिए स्वीकृत हुए थे। जिसके बनते बनते यह धनराशि एक करोड़ तक पहुंच गई।बड़ी मुश्किल से वर्ष 2015 तक यह कार्य पूर्ण हो पाया। इसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की बात भवन निर्माण के साथ की जानी थी। जो आज तक नहीं हो पाई।लोहाघाट चिकित्सालय ऐसे सुगम स्थान पर है जहां लोहाघाट, पाटी बाराकोट ब्लॉकों के अलावा जिले की सीमा से लगे नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ के गांव के लोग भी यहां उपचार के लिए आते हैं। एक समय था। यहां हड्डी रोग, प्रसूति रोग, सर्जन एवं बाल रोग विशेषज्ञ होने पर कुमाऊं में सर्वाधिक ओपीडी हुआ करती थी। आज यहां यह सुविधा न होने के कारण जिला चिकित्सालय के रोगियों की कुल संख्या में साठ फ़ीसदी रोगी इस क्षेत्र के होते हैं।
शासन द्वारा राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपजिला चिकित्सालय का दर्जा देने के बाद उनमें ट्रामा सेंटर को भी समाहित करते हुए डॉक्टरों के 21 पद स्वीकृत किए गए थे। जिनमे प्रस्तुति रोग फिजिशियन, बाल रोग के दो-दो पद चर्म रोग, पैथोलॉजी, सर्जन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, निश्चेतक एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ समेत 21 पद स्वीकृत किए गए हैं। लोहाघाट में वर्तमान में तैरह डॉक्टरो में नेत्र सर्जन, निश्चेतक, ईएनटी एवं रेडियोलॉजिस्ट के अलावा सभी सामान्य डॉक्टर है। सीएमओ डॉ केके अग्रवाल के अनुसार उनके स्तर से टनकपुर में डायलिसिस एवं ब्लड बैंक की अतिरिक्त सुविधा के साथ लोहाघाट में सभी स्वीकृत विशेषज्ञ डॉक्टर के पद भरने की शासन से पहल की गई है। क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी का कहना है कि वह इस समस्या को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाएंगे। लोहाघाट चिकित्सालय का महत्व जिला चिकित्सालय से कम नहीं है।