आखिर ग्रामीणों के मर्म एवम् पहाड़ों के पलायन की पीड़ा को नजदीक से अनुभव कर गए डॉ पुरुषोत्तम।
उत्तराखंड सरकार के सचिव का ऐतिहासिक रहा चम्पावत जिले का चार दिनी दौरा।
लोहाघाट । उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सूबे के ग्राम विकास, पशुपालन, कृषि, डेयरी विकास, उद्यान, सहकारिता एवम् मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ बीबीआरसी पुरुषोत्तम का 4 दिनी दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण एवं लोगों के लिए काफी यादगार रहा। हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बावजूद इस दक्षिण भारतीय अधिकारी ने लगातार ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर बिना समय गंवाए लोगों से जो संवाद स्थापित कर उनकी वास्तविक समस्याओं को समझा कि वास्तव में ऐसे प्रकृति द्वारा सजाए-संवारे चम्पावत जिले, जहां पर्यटन समेत कृषि, मत्स्य पालन, बागवानी, पशुपालन, डेयरी विकास, मौन पालन, सब्जी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। आखिर जिस जिले में बाहर से तो पर्यटक आना चाहते हैं, लेकिन यहां के लोग पलायन करते जा रहे हैं । डॉक्टर पुरुषोत्तम ने अपने दौरे में उन तमाम संभावनाओं को टटोला ही नहीं बल्कि किसानों से सीधा संवाद कर यह उपाय भी जाने की किस प्रकार उनकी आय दोगुनी की जा सकती है। यहां उत्पादित वस्तुओं का पूरा लाभ किसानों को दिलाने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जाएंगी, जंगली जानवरों से खेती को हो रहे नुकसान को किस प्रकार कम करने के साथ किसानों को हाड़ तोड़ मेहनत का लाभ मिल सके, इस पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उत्तराखंड में पिछले 18 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे डॉक्टर पुरुषोत्तम द्वारा पहली बार चंपावत जिले का सघन दौरा किए जाने से उन संभावनाओं को बल मिला है, जिसके आधार पर सीएम धामी ने इसे देश का मॉडल जिला बनाने की परिकल्पना की है।
डॉक्टर पुरुषोत्तम ने महिलाओं की उस पीड़ा को काफी नजदीक से समझा, जिसमें हाड़ तोड़ मेहनत से पैदा किए गए दूध की कीमत न तो डेयरी विभाग से मिल रही है और न हीं बाजार से। इस दौरे से उन्होंने महसूस किया कि मौन पालन, दुधारू पशुपालन, मत्स्य पालन, बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन, फल व फूलों का उत्पादन, जड़ी-बूटी एवम् कृषि के माध्यम से लोगों के चेहरों में खुशहाली की मुस्कान लाई जा सकती है। दरअसल चंपावत जिले की ऐसी भौगोलिक स्थिति है, जहां अकेले 5000 लोग मौन पालन से तथा 15000 लोग दुग्ध उत्पादन से स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं। यहां इंटीग्रेटेड फार्मिंग लोगों को सम्मान से जीवनयापन करने का माध्यम बन सकती है। यदि डॉक्टर पुरुषोत्तम के सुझाव पर सरकार गंभीरता से विचार करती है तो इसमें दो राय नहीं हो सकती कि हिमाचल मॉडल के विकास की शुरुआत चंपावत जिले से होने लगेगी। वैसे डॉक्टर पुरुषोत्तम ने जिस नजरिए से जिले का दौरा किया उसे देखते हुए तो उनके एक और दौरे की आवश्यकता है, जिससे वह ऐसे अन्य स्थानों को देखकर वहां विकास की समग्र सोच पैदा कर सकें। डॉक्टर पुरुषोत्तम के इस दौरे से लोगों को पक्का यकीन होने लगा है कि अब उनके भी अच्छे दिन आएंगे।
मंत्रियों व फोटो के शौकीन अफसरों को आइना दिखा गए डॉ पुरुषोत्तम।
लोहाघाट । यह चंपावत जिले का दुर्भाग्य कहें या नियति, यहां राज्य बनने के बाद कोई ऐसा प्रभारी मंत्री नहीं मिला जिसकी वास्तव में विकास की सोच रही हो। चाहे कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, सभी एक ही नस्ल के मंत्री निकले हैं। सबसे ताज्जुब तो तब होता है कि जिस जिले का स्वयं मुख्यमंत्री प्रतिनिधित्व करते हों, वहां सामान्य मंत्री तो दूर प्रभारी मंत्री भी आने से कन्नी काटते रहे हैं। यह मंत्री गर्मियों में आबोहवा बदलने को तक नहीं आते हैं। मॉडल जिले की संभावनाओं को तलाशने के लिए डॉक्टर पुरुषोत्तम जैसी गंभीरता आज तक किसी ने नहीं दिखाई। जो अधिकारी कभी आते भी हैं तो उन्हें आने से पहले जाने की फिक्र सताने लगती है और फोटो खिंचाकर अपनी उपस्तिथि दर्ज करा जाते हैं। ऐसे मंत्रियों व अफसरों को कम से कम उत्तराखंड सरकार के महत्वपूर्ण विभागों के सचिव डॉक्टर पुरुषोत्तम ने आईना तो दिखा दिया है।