चंपावत। यदि शासन के वरिष्ठ काबीना मंत्री सतपाल महाराज का प्रयास रंग लाया तो उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण एवं जिम्मेदार पदों के लिए लोग सीधे मतदान कर लंबे समय से चली आ रही कुप्रथा का अंत कर देंगे जिसने लोकतांत्रिक व्यवस्था में कलंक लगा हुआ था। ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्यक्ष रूप से चुनाव करने की मांग को स्वयं जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी प्रेम पांडे, ललित मोहन पांडे, ब्लॉक प्रमुख खुशाल सिंह धौनी, ऊषा नलवा, लक्ष्मण सिंह लमगड़िया आदि लोग लंबे समय से मांग करते आ रहे थे। अप्रत्यक्ष चुनावी व्यवस्था का जीवन में कटु अनुभव झेल कर भविष्य में ऐसे चुनाव में भाग न लेने की कसम खा चुके वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भागीरथ भट्ट का कहना है की डबल इंजन की सरकार में तो यह काम पहले ही हो जाना चाहिए था। अलबत्ता सरकार के मंत्री देरसवेर इस चुनावी अभिशाप को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
अप्रत्यक्ष चुनाव में लोगों ने अपनी आंखों से देखा है कि किस प्रकार ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को गाय, भैंसों की तरह खरीद कर उन्हें अपने पाले में करने के लिए निम्न स्तर के हथकंडे अपनाए जाते रहे हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पैदा हुई नवधनिक संस्कृति में जिसमें धनबल के आधार पर किसी भी अप्रत्यक्ष रूप से होने वाले चुनाव को अपने पक्ष में करने की तिगणम में वह सफल होते गए। यदि सतपाल महाराज त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में इस कलंक को मिटाने में सफल रहे तो निश्चित तौर पर वह इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लेंगे। महाराज के इस प्रयास की जिसको भी जानकारी मिली है, उसके द्वारा उनकी सराहना की जा रही है। महाराज द्वारा इस संबंध में केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल से लंबी वार्ता करने के बाद मंत्री जी ने उनके इस प्रस्ताव को भी हरी झंडी दिखा दी है।