चंपावत। मुख्यमंत्री सचिव एवं कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने अपने भ्रमण के दौरान अपने अधिकारियों की बैठक आयोजित कर आपदा से हुए नुकसान की जानकारी प्राप्त करने के साथ उसकी भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी समीक्षा की। उनका स्पष्ट कहना था कि जिस व्यक्ति को जिस रूप में नुकसान हुआ है,उसकी भरपाई के लिए ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए जिससे उन्हें सम्मानजनक ढंग से जीवनयापन करने के अवसर मिल सकें। उन्होंने माना कि आपदा के जख्म काफी गहरे हैं। पीड़ितों व प्रभावितों को हरसंभव उनकी मदद करते हुए उनको यह अहसास कराया जाना चाहिए कि दुःख की घड़ी में शासन तंत्र उनके पीछे खड़ा है। उन्होंने अधिकारियों से कहा था कि वे प्रभावित क्षेत्रों में जाकर नव निर्माण के कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करने के साथ जहां अधिक धन की जरूरत है, वहां के प्रस्ताव शासन को भेजे जाएं।ग्रामीण सड़क मार्गों को खोलने,बिजली,पानी, चिकत्सा,खाद्यान्न आपूर्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के साथ सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए तेजी से प्रयास किए जाएं।
जिलाधिकारी नवनीत पांडे ने स्वयं आपदाग्रस्त क्षेत्रों का पैदल भ्रमण कर वहां की तस्वीर मंडलायुक्त को प्रस्तुत की। कहा आपदा में 3419 परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचा है,जिसकी भरपाई में लगभग 164 करोड़ रूपए व्यय होने का आकलन किया गया है। जिलाधिकारी ने पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से मंडलायुक्त को जानकारी देते हुए बताया कि लोहाघाट ब्लॉक के नेपाल सीमा से लगे रौंसाल व पंचेश्वर क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान हुआ था। जिला प्रशासन द्वारा युद्धस्तर पर राहत व बचाव कार्य किए गए तथा पीड़ितों व प्रभावितों को हर प्रकार की मदद करने के साथ वहां आवश्यक सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। बाद में मंडलायुक्त ने चाय बागान क्षेत्र का दौरा कर उसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की योजनाओं की जानकारी दी। बैठक में राष्ट्रीय राजमर्ग के मुख्य अभियंता दयानंद,लोक निर्माण विभाग चीफ राजेंद्र सिंह, सिंचाई विभाग चीफ संजय शुक्ला, डीएफओ आरसी कांडपाल समेत सभी जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।