लोहाघाट। क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ितों व प्रभावितों का दर्द जाना आपदा ने सदा के लिए यहां के लोगों के मुंह का निवाला छीन लिया है। फसलों से हरे-भरे उपजाऊ खेतों को भारी नुकसान हुआ है। मोटे अनाजों, लाल चावल के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रौसाल – डुंगराबोरा क्षेत्र उजड़ गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आपदा के जख्मों की जानकारी देते हुए उन्हें ज्ञापन देते हुए लम्बी वार्ता की, कहा आज पीड़ितों को पर्याप्त मदद के साथ मानवीय संवेदनाओ की भी जरूरत है। जिस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने रूद्रप्रयाग जिले में आपदा पीड़ितों को आपदा राहत के मानकों में की गई शीतलता को यहां भी लागू करने पर जोर दिया। कहा पहाड़ों में पत्थर के मकानों में दरार आने पर वह पूरी तरह असुरक्षित हो जाते हैं, उसे आंशिक नुकसान की श्रेणी में लिया जाता है। इसी प्रकार पक्के मकान के ध्वस्त होने पर जो राशि दी जा रही है उससे मकान का मलवा उठाना भी संभव नहीं है। ऐसे पीड़ितों के लिए स्वयं सरकार या तो मकान बनाकर दे या मुवावजे की राशि में समय के अनुसार वृद्धि की जाए। विधायक का यह भी कहना था कि आपदा से सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुंह मांगा धन दिया जा रहा है लेकिन पीड़ित व प्रभावितों की मदद में आपदा के मानक आडे आ रहे हैं।
क्षेत्रीय विधायक अधिकारी ने लोगों की पीड़ा उजागर करते हुए कहा कि पहाड़ों की शान कहे जाने वाले “सेरा” तथा सोना उगलने वाली भूमि बहने पर इन स्थानों में भूमि संरक्षण के कार्य किए जाए तब तक पीड़ितों को निःशुल्क खाद्यान्न व अन्य सुविधाएं दी जाए। आपदा ने लोगों के अरमान ध्वस्त कर दिए हैं। ग्रामीण सड़क संपर्क मार्ग बंद होने से गांव में आवश्यक वस्तुओं का अकाल पड़ गया है। दूध बेचकर अपनी आजीविका चलाने वाले लोगों का दूध सरकार खरीद कर उसका निस्तारण करें। पेयजल योजनाएं ठीक न किए जाने से लोग गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं तथा प्रभावित क्षेत्रों में संक्रामक रोग फैलते जा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर हैरानी जाहिर की की पूर्व में जिन आपदाग्रस्त गांव के लोगों को अन्यत्र विस्थापन करने की योजना बनाई गई थी, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि मटियानी के नकेला गांव के पीड़ितों को भी विस्थापन की बात की जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से युद्धस्तर पर राहत व पुर्नवास किए जाने की मांग की है।