चंपावत। अब बगैर सीएमओ की पूर्वानुमति के जिले के किसी भी स्थान में स्वयंसेवी संस्थाओं, निजी अस्पताल या दवा विक्रेताओं द्वारा निःशुल्क चिकित्सा शिविर नहीं लगाए जा सकेंगे। निःशुल्क चिकित्सा शिविरों के माध्यम से रोगियों को बड़े-बड़े अस्पतालों में भेज कर उनका मनमाना शोषण किए जाने की तमाम शिकायते चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को मिलती रही हैं, जिन्हें आज तक खामोश फाइल में डाल दिया जाता था, लेकिन सीएमओ के रूप में डॉ देवेश चौहान द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की बाद से ही रोगियों को बेहतर सेवाएं देने एवं रोगियों को लूटने के लिए चलाए जा रहे हैं षड्यंत्रों का पर्दाफाश किए जाने के क्रम में यह साहसिक कदम उठाया गया है। सीएमओ द्वारा जारी ताजा आदेश में कहा गया है जिन अस्पतालों का सीएमओ के साथ एमओयू साइन होगा, वही निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगा सकते हैं। यह देखा गया है कि नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं अन्य इकाइयों द्वारा शिविर लगाए जाते रहे हैं जिसमें नाम मात्र ही विभाग से पूर्वानुमति लेते हैं इसमें दवा विक्रेताओं की मनमानी और लापरवाही अधिक देखने में आई है। यहां तक की कैम्पो में किस प्रकार के रोगी देखें जाते हैं, इसका भी कोई खुलासा नहीं किया जाता है।
सीएमओ के अनुसार इस बीच कुछ अस्पतालों व दवा विक्रेताओं के सौजन्य से निःशुल्क चिकित्सा शिविरों का संचालन किया गया जिसमें राज्य के बाहर से डॉक्टरों को बुलाया गया था, लेकिन इसकी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं है। ऐसे शिविरों में किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर उसका खामियाजा उन्हेें ही भुगतना पड़ेगा। ऐसे शिविरों के माध्यम से रोगियों को बड़े-बड़े अस्पतालों में उपचार के लिए जाने हेतु फसाये जाने की भी शिकायते भी मिली है। सीएमओ के अनुसार विभाग से किए गए एमओयू की अवधि एक वर्ष के लिए वैध होती है। इस दौरान शिविर में किस प्रकार के रोगियों का उपचार, उन्हें दी जाने वाली दवाईयों आदि की पूरी जानकारी पहले देनी होती है यहां तक की दवाओं के सैम्पल भी दिखाने पड़ते हैं। और उपचार करने वाले डॉक्टरों के बारे में यह भी जरूरी है कि वे मेडिकल बोर्ड में पंजीकृत हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि आदेशों की अवहेलना करने वाले लोगों के विरुद्ध तत्काल प्रभाव से विभागीय नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।