चंपावत। जिम कॉर्बेट की 150वी जयंती के अवसर पर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया। प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय में हुई गोष्ठी में बताया गया कि कैसे वन्यजीवों के शिकार करने का शौकीन यह ब्रिटिश नागरिक एक डीएफओ के संपर्क में आने के बाद उसका इतना हृदय परिवर्तन हो गया कि वह वन्य जीवो का शिकार करने के बजाय उनका संरक्षण करने लगा। एसीएफ नेहा चौधरी की अध्यक्षता एवं वन क्षेत्राधिकारी दिनेश चंद्र जोशी के संचालन में हुई गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डीएफओ नवीन चंद्र पंत ने कहा कि इस ब्रिटिश नागरिक को वन्य जीवो का शिकार करने का बड़ा शौक था। इसी दौरान वन विभाग के एक डीएफओ मिस्टर चैंपियन के संपर्क में आए तो उनका हृदय परिवर्तन होकर वह अब वन्य जीवो से प्रेम करने लगे। जब उन्हें पर्यावरण संरक्षण एवं ईको सिस्टम बनाए रखने में वन्य जीवों के महत्व की जानकारी मिली तो उन्होंने इसके लिए पश्चाताप भी किया। डीएफओ ने कहा कि जिम कॉर्बेट प्रकृति संरक्षण के कितने हिमायती थे, इसका उल्लेख उन्होंने अपनी पुस्तक “माय इंडिया” में भी किया है।
उन्होंने आगे कहा जब काली कुमाऊं क्षेत्र में नरभक्षी बाघ ने 436 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था तो भयाक्रांत लोगों की रक्षा के लिए उन्होंने अपनी बंदूक उठा ली उसके बाद उन्होंने केवल नरभक्षी बाघों को ही मारा था। बाराही धाम में नरभक्षी बाघ को मारने के लिए जब तीन बार उनकी बंदूक की गोली फिसल गई तो उस दिन उन्होंने मां बाराही की शक्ति को नमन कर हिंदू आस्था पर उनका विश्वास और अधिक हो गया। इसी दौरान जिम कॉर्बेट यहां के ग्रामीण जनजीवन में इस प्रकार रच बस गए कि उन्होंने यहां की संस्कृति एवं परंपराओं से आत्मसात कर लिया। डीएफओ ने जानकारी दी कि चंपावत जिले में कार्बेट के नाम से एक “कार्बेट ट्रेल” के निर्माण में विभाग लगा हुआ है। जिसके लिए वन पर्यावरण एक्सपर्टों का भी सहयोग ले रहा है। इसके बनने के बाद मॉडल जिला को चंपावत राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र में अलग स्थान मिलेगा। इस अवसर पर उप वन क्षेत्राधिकारी त्रिभुवन बोहरा, आनंद गिरि, मनीषा राय, सुरेश चंद्र , मदन मोहन जोशी, विमला तिवारी, सुनीता भट्ट, प्रेमा बरफाल,नंदन गिरी एवं मोहन चंद पांडे ने भी विचार व्यक्त किए।
