लोहाघाट। मौसम में बदलाव आते ही जहां लोग मडुवे के आटे की तलाश करने लगते हैं वही वह ठंड से बचने के लिए घरों में पौष्टिक लड्डू भी बनाते हैं। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र ने महिलाओं को मडुवे के पौष्टिक लड्डू बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें सुई गांव की तीस से अधिक महिलाओं एवं युवतियों ने भागीदारी की। केंद्र की प्रभारी डॉ अमरेश सिरोही ने मडुवे को प्रकृति का ऐसा वरदान बताया जिसमें भरपूर पौष्टिक तत्व होने के बावजूद इसकी हर घर तक पहुंच है। वैज्ञानिक शोधों के बाद मडुवा एक उच्च कोटि का बेबी फूड, गर्भवती महिलाओं, खून की कमी, डायबिटीज आदि तमाम रोगों के लिए फायदेमंद होने के साथ यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है तथा सदा यौवन बना रहता है। केंद्र द्वारा मडुवे के अनेक बायोप्रोडक्ट बनाने की दिशा में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जाड़ों में ठंड से बचने के लिए मडुवे के पौष्टिक लड्डू बनाने की शुरुआत करते हुए कहा कि यह सबसे सस्ता एवं अधिक फायदेमंद है जिसे बनाना भी बहुत आसान है।
गृह विज्ञान की कार्यक्रम सहायक गायत्री देवी ने पौष्टिक लड्डू बनाने का व्यवहारिक प्रशिक्षण देते हुए कहा कि 100 ग्राम मडुवे के आटे में 300 ग्राम गेहूं का आटा, ढाई सौ ग्राम देसी घी, 350 ग्राम गुड़ या चीनी तथा 100 ग्राम खाने का पाउडर मिलाकर लड्डू बनाया जा सकते हैं। इसको और अधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें गोले की कतरन, किसमिस, छुहारा, काजू, बादाम आदि सूखे मेवे मिलाए जा सकते हैं। कार्यक्रम सहायक फकीर चंद के अनुसार मडुवे के बायो प्रोडक्ट की लगातार मांग बढ़ती जा रही है। महिलाएं स्वरोजगार के लिए मडुवे के लड्डू, बिस्कुट, केक आदि घर में आसानी से बना सकती हैं। प्रशिक्षण ले रही महिलाओं ने इसे एक अच्छा घरेलू उद्यम बताया।
फोटो-केवीके में प्रशिक्षण लेने आई सुई गांव की महिलाएं।