लोहाघाट — कहते है कि फूलों की सुगंध हवा के साथ बहती है। लेकिन सचिन जोशी चंपावत जिले के ऐसे एक होनहार नव युवक हैं जिनकी निस्वार्थ समाज सेवा गरीबों असहायों के लिए एक मजबूत सहारा बनने आदि गुणों की सुगंध सभी जगह फैली हुई है। बाहरी आडंबर एवं दिखावे से दूर सचिन द्वारा की जा रही सेवाएं के गवाह या तो भगवान है या वह व्यक्ति जिसकी सेवा की है। छोटी सी उम्र में सचिन में परोपकार की भावना कैसे और कहां से पैदा हो गई इसे तो भगवान ही जाने? लेकिन जब गरीब व असहाय व्यक्ति अस्वस्थ या अपने जीवन में किसी परेशानी में होता है तो वह ईश्वर के साथ सचिन नाम उसकी जुबान में आ जाता है। छात्र जीवन से सचिन में दुसरो की खुशी मे अपनी खुशी तलाशने की प्रवृत्ति पैदा हो गई छात्र जीवन के उनके तमाम ऐसे साथी उनके नाम की आज भी माला जपते हैं जिनकी सचिन सहायता नही करते तो हो सकता था वे अपनी शिक्षा के सपने को पूरा नहीं कर पाते। सचिन कोई अमीर परिवार से भी नहीं है। गरीबी से उनका निकट का सम्बंध रहा है। लेकिन उनके हृदय की विशालता है वह गरीबों व असहायों की सेवा से उन्हें इतनी दुआए एवं आशीर्वाद मिलता रहा है। जिसे पाने के लिए लोग तरसते रहते हैं। नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा कोई सामाजिक धार्मिक एवं समाजोपयोगी कार्य के अलावा सभी के दुख सुख में कोई पहुँचे या न पहुँचे लेकिन सचिन वहाँ पहले पहुंच अपनी सेवा के टेंट गाड़ देते हैं। लोहाघाट का चिकित्सालय हो या जिला अस्पताल तमाम रोगियों को सचिन ही अपने साथ लेजाकर उनका उपचार करते है डॉक्टर भी इनकी सेवाओ के कायल रहते है । कोरोना काल में सचिन की सेवा का लेखा-जोखा तो ऊपर वाले के पास ही है । गणतंत्र दिवस के मौके पर जिलाधिकारी ने सचिन को पुरुस्कृत कर उन्हें उनकी सेवाओं का सम्मान दिया । यह ऐसा पुरुस्कार था कि पुरस्कार स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा था।