
लोहाघाट। वनों के संरक्षण के लिए वर्टिकल फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना समय की ज्वलंत आवश्यकता बन गया है। घरों में जिस तेजी के साथ सब्जियों का उत्पादन बढ़ता जा रहा है उसे देखते हुए इस कार्य में वर्टिकल फार्मिंग का समावेश करना होगा। पहाड़ों में अकेले लौकी ,तुरई ,खीरा ,करेला आदि उत्पादों को हर परिवार पैदा करता है, जिसके लिए प्रत्येक परिवार के लिए उन्हें जंगलों से पेड़ काटकर लाने पड़ते हैं। बेल वाली सब्जियों के लिए भी छोटे पेड़ों को काटकर लाया जाता है। इस प्रकार देखें तो अकेले चंपावत जैसे छोटे जिले में प्रतिवर्ष हजारों पेड़ काटे जाते हैं ।इन पेड़ों को वर्टिकल फार्मिंग से बचाया जा सकता है।

यदि सरकार वर्टिकल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए विशेष अनुदान कर त्रिभुजाकार स्टैगिंग ,यू आकार स्टैगिंग ,पंडाल टाइप्स स्टेगिंग आदि उपलब्ध कराती है ,तो इससे प्रतिवर्ष हजारों की तादात में पेड़ों को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। इस पद्धति में किसानों को लोहे के स्टैग व तार की जालियां देनी होंगी ।एक किसान को यदि यह सुविधा दी जाती है ,तो इसका उपयोग वह दशकों तक करेगा। इस पद्धति में पैदा होने वाली सब्जियों व खीरा ,ककड़ी का आकार बेहद आकर्षक व सुडौल होगा। पहाड़ों में लगातार वन क्षेत्र सिकुड़ते जा रहे हैं ।यदि इसी प्रकार पेड़ कटते गए तो पेयजल संकट व भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदा को कोई रोक नहीं सकता है।