चंपावत। बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ उनमें चरित्र निर्माण एवं संस्कारों से बच्चों के जीवन में नई रोशनी दे रहे जीआईसी चंपावत के सुरेश आर्य ऐसे शिक्षक हैं कि उन्हें यह बात कचोटती रहती है कि जो वेतन उन्हें मिलता है, उसके एवज में वे बच्चों को उतना नहीं दे पाते हैं। इस भावना से कार्य करते हुए वह आईसीटी का प्रयोग करते हुए बच्चों को शिक्षा के साथ हर क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में खड़ा करने के लिए अनवरत प्रयासों में लगे रहते हैं, जिसमें इन्हें कभी थकान नहीं लगती है और न ही उनके चेहरे में कोई शिकन आती है। यही कारण है कि उन्हें शैलेश मटियानी शिक्षक दक्षता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। शिक्षक को समाज का दर्पण मानने वाले श्री आर्य ने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व को ऐसा रूप दिया है कि हर छात्र का मस्तक उनके सामने झुक जाता है। छात्र इन्हें अपने भविष्य का अच्छा शिल्पी मानते हैं, जिनमें ना कोई पुरस्कार पाने की इच्छा रहती है और ना कोई दिखावे की भावना। बच्चों के प्रति पूरी तरह समर्पण भाव बनाए रखने के लिए यह भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनका पढ़ाया हुआ बच्चे अपने कार्य व्यवहार से सूर्य और चंद्रमा की तरह चमकते रहें।