चंपावत। नेपाल से लगी 80 किलोमीटर की लंबी सीमा में पलायन रोकने, रोजगार की संभावनाओं को जमीनी रूप देने एवं सीमावर्ती लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज जिलाधिकारी मनीष कुमार द्वारा सीमा से लगे गांव में भेजी अधिकारियों की अलग-अलग टीमों द्वारा किए गए अध्ययन पर चिंतन व मंथन किया गया।
जिलाधिकारी को कहना था कि सीमावर्ती गांव को सशक्त व समृद्ध करने के लिए वहां बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जाना आवश्यक है। अधिकारियों के दल द्वारा स्थानीय संसाधनों के दोहन,आपदाओं का स्थाई समाधान, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देते हुए उनके लिए बाजार की व्यवस्था, ग्रामीण संपर्क मार्गों का निर्माण कर पलायन रोकने, बहुद्देशीय भवनो का निर्माण, सड़कों की व्यवस्था, सोलर चैन,लिंक फेंसिंग, कृषि बागवानी, लघु सिंचाई, कौशल विकास के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षण, डिजिटल संसाधन केंद्र, पुस्तकालय की स्थापना, पंचायत भवनों को मिनी सचिवालय का रूप देने का सुझाव दिया गया है।
अधिकारियों द्वारा चयनित पासम, मढ़वा,तरकुली, आमनी, कालीगुठ, तामली, पोलप, देवीपुरा,सैलानी गोठ नायक गोठ, चूका गांव का दौरा कर ग्रामीणों से संवाद कर कार्यक्रम निर्धारित किया। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए वहां के किसानों को कम भूमि में अधिक उत्पादन की तकनीक, दुधारू पशु पालन एवं पारंपरिक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। बैठक में सीडीओ डॉ .जीएस खाती, सीएमओ डॉ. देवेश चौहान, सीईओ मेहरबान सिंह, एलबीओ एएस ग्वाल, डी डीओ डी एस दिगारी आदि मौजूद थे।
