चंपावत। जिले के सभी ब्लॉक प्रमुखो मे उच्च शिक्षा प्राप्त अंचला बोहरा ऐसे पारिवारिक परिवेश में रही है, जहां दूसरों की खुशियां देखकर उनकी खुशियां दोगुनी हो जाती हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद इरादा तो था गांव के बच्चों की निशुल्क अंग्रेजी में कोचिंग कर उन्हें आज की इस चुनौती पूर्ण प्रतियोगिता का मुकाबला करने के लिए तैयार करना था, किंतु नियति का ऐसा चक्र घुमा की पहली बार फ़ूंगरमाफी से बीडीसी सदस्य का चुनाव लड़कर ग्रामीण राजनीति में क्या प्रवेश किया कि वह निर्विरोध मॉडल जिले के सबसे बड़े ब्लॉक की प्रमुख बन गई।
ऐसा लगता है कि उनके परिवार की दूसरों का भला करने की सोच से मिले आशीर्वाद का ही यह परिणाम रहा होगा। अंचला ऐसी महिला प्रतिनिधि नहीं होगी जो रिमोट कंट्रोल से काम करेंगी। अंग्रेजी विषय से एमए टॉपर एवं बीएड डिग्री धारक अंचला ने अभी से अपने ब्लॉक का ऐसा “रोड मैप” में तैयार करना शुरू कर दिया है।जिससे वह उन लोगों तक पहुंचाना चाहती है, जहां अभी तक विकास एवं बुनियादी सुविधाओं से लोग टापते रह गए है। अंचरा ऐसे ब्लॉक की प्रमुख बनी है, जहां टनकपुर, बनवसा क्षेत्र में चार दिन में “डोर टू डोर” पहुंचा जा सकता है। वही उनके पास तल्लादेश,नयादेश समेत तमाम सुदूर क्षेत्र हैं। जहां तीन महीने में घर- घर पहुंचा नहीं जा सकता है। ऐसे लोगों की दिक्कतों को दूर करने के लिए वह स्वयं गांव में कैंप लगाकर लोगों की जिला मुख्यालय आने की अनावश्यक दौड़ को रोकना चाहती हैं। अंचला ऐसी भाग्यशाली महिला है कि इनके ऊपर जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व जीजा भाजपा जिला अध्यक्ष गोविंद सामंत की कृपा दृष्टि है, उसे देखते हुए वह कहती है कि वह ऐसे विशिष्ट कार्य करेंगी जिन्हें आज तक दूसरे लोग नहीं कर पाए। विकास कार्य में जब “ट्रिपल इंजन” काम करने लगेगा तो वह भी मुख्यमंत्री जी की परिकल्पना के मॉडल जिले का ऐसा विकास का स्वरूप होगा जो अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति के पास जाकर ही रुकेगा। अंचला के फौजी पति राकेश बोहरा की उत्साहजनक पहल उन्हें विशिष्ट जन सेवा के लिए प्रेरित करती रही है। अंचला कहती है कि चंपावत जिले के लोग कौन सा ऐसा भाग्य लेकर आए हैं कि जिन्हें भाग्य के चक्र ने ऐसे मुख्यमंत्री का प्रतिनिधित्व दिया है, जिनके विकास की सोच से जहां जिले की तस्वीर एवं लोगों की तग़दीर बदल रही है। जिसको देखते हुए यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी उनका अहसान नहीं चुका पाएंगे।
