लोहाघाट– शीतकाल के दौरान अन्य मौसम की तुलना में अधिक मौतें होती है। इनमें अधिकांश मौतें हार्टअटैक या हार्टफेलियर के कारण होती है ।अधिकांश लोग इसे नियति का चक्र मान लेते हैं। जबकि खान-पान में परहेज, लगातार जांच किए जाने से मौत को टाला जा सकता है। चिकित्सकों की राय माने तो सही ढंग से खानपान ,शरीर की सक्रियता एवं डॉक्टरी परीक्षण व सावधानियां बरतने से इन मौतों को रोका जा सकता है।
चंपावत जिले की ढाई लाख की आबादी का दिल थाम रहे एकमात्र ख्याति प्राप्त हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. के.के. पुनेठा का कहना है कि सांस संबंधी एवं हृदय रोगियों के लिए ठंडी का मौसम काफी खतरनाक होता है ।बीपी डायबिटीज के रोगियों एवं उम्रदराज लोगों को नियमित अपने स्वास्थ्य का परीक्षण करने के साथ बीपी व डायबिटीज को दवा से नियंत्रित रखना चाहिए ।जाड़ों में कभी निमोनिया गंभीर होने पर भी मौत का कारण बन जाता है। बच्चों में भी घातक वायरल उल्टी दस्त, से भी मौत हो जाती है ।हार्ट अटैक व हार्ट फेलियर से बचने के लिए डॉ पुनेठा का कहना है कि ठंड से बचाव जरूरी है। नवजात शिशु के सामने खांसी जुकाम के रोगी को नहीं जाना चाहिए ।धूम्रपान व शराब से बचें, धूम्रपान से दमा बढ़ता है ।जो हार्टअटैक को प्रभावित करता है। खान-पान संतुलित रखें ,फलों व हरी सब्जियों का अधिक प्रयोग करें। शरीर मे पानी की मात्रा को नियंत्रित रखें,
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक शुक्ला का कहना है कि जाड़ो में खून के गाढ़ा होने से धमनियों में कठिनाइयां पैदा हो जाती है। जिससे हॉट पर अधिकतर प्रेशर पड़ता है। दमा व हृदय रोगियों को तो ठंड में विशेष सावधानियां रखनी पड़ती है। सीने में हल्का दर्द या चुभन को नजरअंदाज न करें ,अर्जुन की छाल का पानी अमृत है ।इसके पाउडर को दूध में उबालकर भी पिया जाता है ।जटा मासी व ब्राह्मी दिल की धड़कन को मजबूत एवं कोलेस्ट्रोल के कम करता है। रात में दूध में हल्दी उबालकर पीना काफी लाभदायक होता है। अलसी का सेवन भी रक्त नलिका में बसा को जमने नहीं देता है ।कच्चा लहसुन कोलस्ट्रोल को कम करने के साथ बीपी को भी नियंत्रित रखता है। साथ ही पानी को उबाल हुवा गुनगुना पानी पीना लाभदायक है ।