लोहाघाट।पानी का ऐसा‌ प्रबंधन कर बूंद बूंद से किस प्रकार मछलियों का उत्पादन कर उसे रोजगार का जरिया बनाया जा सकता है,इसे देखने के लिए पाटी ब्लॉक के तोली गांव जाना होगा। जहां लगभग पांच किलोमीटर के दायरे में मछलियां‌ ही लोगों का पेट पाल रही हैं।एक पूर्व फौजी कृष्णानंद गहतोड़ी द्वारा शौकिया तौर पर शुरू किया गया यह प्रयास दर्जनों लोगों की आजीविका का माध्यम बनेगा।इसकी किसी को उम्मीद ही नहीं थी। दरअसल इस गांव के फौजी‌ श्री गहतोड़ी ने गांव में पेयजल संकट से उबरने के लिए अपने गांव से आधा किलोमीटर दूर से प्लास्टिक के पाइपों द्वारा अपने यहां पानी लाया गया।पानी की बर्बादी रोकने के लिए उन्होंने एक तालाब बनाया।जिसमें मछलियां डाल दी इस कार्य में मिली सफलता को देखते हुए उन्हें गांव के उत्साही नवयुवक पीतांबर गहतोड़ी का भी साथ मिल गया।इन दोनों की देखा देखी गांव के अन्य लोगों ने भी मछली उत्पादन करना शुरू कर दिया।धीरे-धीरे जौलाडी ,पंतोला,रोलामेल, किमाड़ी, तपनीपाल,बरोला, रानीचौड आदि गांवों के लोगों ने इस ओर कदम बढ़ाए।
बाद में गहतोड़ी बंधुओं द्वारा यहां मौनपालन, अंगोरा शसक पालन,वैमौसमी सब्जियों का उत्पादन आदि अनेक कार्य भी शुरू कर दिए गए। इस गांव की जब हर जगह चर्चा होने लगी तो पाटी व अन्य स्थानों से लोग इनके गांव आकर अपनी मनपसंद मछलियां खरीदने लगे।इसी के साथ यहां वैज्ञानिकों की भी आवाजाही होने लगी।इस गांव के लोग किसी के भरोसे न रहकर स्वावलंबन की भावनाएं इनके खून में मिली हुई है। समय-समय पर खेत के माध्यम से रोजगार सृजित कराने वाले पिथौरागढ हो या चंपावत के डीएम व सीडीओ गांव का पैदल दौरा कर दोनों बंधुओं का उत्साह बढ़ाते आ रहे हैं। आज यह गांव सड़क से जुड़ चुका है।सीएम धामी द्वारा चंपावत को मॉडल जिला बनाने की बात कही जा रही है ऐसी स्थिति में तोली गांव का महत्व काफी बढ़ जाता है।इस गांव को इंटीग्रेटेड फार्मिंग के लिए यदि चयनित किया जाता है तो इससे पाटी ब्लॉक के किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाना और आसान हो जाएगा।

By Jeewan Bisht

"द पब्लिक मैटर" न्यूज़ चैनल पर स्वागत है. यहां आपको मिलेगी उत्तराखंड की लेटेस्ट खबरें, पॉलिटिकल उठापटक, मनोरंजन की दुनिया, खेल-जगत, सोशल मीडिया की वायरल खबरें, फिल्म रिव्यू, एक्सक्लूसिव वीडियोस और सेलिब्रिटीज के साथ बातचीत से जुड़े रहने के लिए बने रहे "द पब्लिक मैटर" के साथ।

2 thoughts on “थोड़े से प्रयास के बाद अब मछलियां ही पेट पाल रही हैं गांव का।<br>इंटीग्रेटेड फार्मिंग के लिए मॉडल गांव बनाया जा सकता है तोली।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *