लोहाघाट । इससे किसानों की किस्मत कहें या व्यवस्था की खामियां । चंपावत जिले में किसानों का फलता फूलता रोजगार समाप्त हो जा रहा है। पाटी ब्लॉक के कोटा गांव के लोगों ने पहले दिल्ली के फूल व्यापारियों को अपनी जमीन बेमौसमी सब्जियों और फूलों की खेती के लिए किराए में दी थी । जब यहां के लोगों ने यह हुनर सीख लिया तो उन्होंने स्वयं यह काम करना शुरू कर दिया। कोटा के पूर्णानंद भट्ट की पहल पर रौलामेल, सकदेना, गूम, जौलाडी, बड़ेत, भुम्मवाड़ी, बैजगांव, मेलाचौक, भिंगराड़ा, हौली पिपलाटी आदि गांवों के लोगों ने इस व्यवसाय को अपनाना शुरू कर दिया। यहां के फूलों की सुगंध से दिल्ली के बाजार महकने लगे तथा यहां की जैविक टमाटर, शिमला मिर्च, फ्रेंचबीन, बैगन, खीरा आदि ने दिल्लीवासियों का स्वाद ही बदल दिया। इस कारोबार को फलता फूलता देख पूर्णानंद भट्ट ने दिल्ली में नौकरी कर रहे अपने दोनों बेटों दीपक व अशोक को घर बुलाकर उन्हें इस व्यवसाय से जोड़ दिया। सिंचाई सुविधा ना होने के बावजूद सर से पानी ढोकर इस कारोबार को जिंदा रखा। क्योंकि लघु सिंचाई विभाग हर साल यहां सिंचाई योजना बनाने की बात करता रहा, लेकिन फूल व सब्जी उत्पादकों को जब यह सुविधा नहीं मिली तो उन्होंने यह फलता फूलता कारोबार ही छोड़ दिया। उत्पादकों को अपनी सब्जियों व फूलों को पहुंचाने के लिए चार किलोमीटर दूर धूनाघाट तथा सात किलोमीटर दूर पाटी पैदल ले जाकर बस में रखना पड़ता था। इसी के साथ सैकड़ों लोगों के मुंह से निवाला छिन गया।
ठेकेदारों द्वारा अपनी मुट्ठी में किए गए लघु सिंचाई विभाग द्वारा ऐसे स्थानों में सिंचाई गूलें बनाने में दिलचस्पी ली जाती है, जहां खेती या अन्य व्यवसाय नहीं किया जाता है। लेकिन कोटा गांव के बगड़ा तोक, उनबीड़ा नदी या गोदालिया खोला से पाइपलाइन द्वारा यहां सिंचाई सुविधा दी जा सकती है। इसके अलावा यदि कोटा में हाइड्रम योजना बनाई जाती है तो इससे कोटा ही नहीं आधा गांव बड़ेत व रौलामेल गांव का कुछ हिस्सा लाभान्वित हो सकता है। सरकारी व्यवस्था के सामने हार मान चुके पूर्णानंद भट्ट का कहना है कि यदि सिंचाई सुविधा मिल जाए तो वे तथा अन्य गांव के लोग फूलों की खेती व सब्जी उत्पादन को फिर शुरू कर सकते हैं। श्री भट्ट इंटीग्रेटेड फार्मिंग के काफी पक्षधर हैं। उनका कहना है कि खेती एक दूसरे कार्यक्रम से जुड़ी हुई है । जैविक खाद के लिए गाय पालना जरूरी है, मौनपालन से जहां शहद मिलेगा वहीं इससे सब्जी व फलों की पैदावार भी बढ़ेगी। मछली व मुर्गी का ऐसा व्यवसाय है, जिसकी बिक्री के लिए दूर जाने की जरूरत नहीं है। ग्लाइड, कारनेशन, लिलियम, गुलाब, गैंदा आदि फूलों की खेती के लिए यहां की जलवायु बहुत अच्छी है। इसी के साथ यहां मौन पालन ऐसा रोजगारपरक धंधा है जिसमें आय व स्वास्थ्य दोनों हैं। जिस घर में गाय व मौन का बक्सा होगा वहां लक्ष्मी जी का स्वयं आगमन हो जाता है।