देवीधुरा। शनिवार को शांतिपूर्वक बाराही धाम में बग्वाल निपटने के बाद रविवार को मां बाराही की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें काफी तादात में श्रद्धालु शामिल हुए। बग्वाल के दिन सुबह मुख्य मंदिर से ताम्र पेटिका में विराजमान मां बज्र बाराही, मां महाकाली एवं मां सरस्वती विराजमान रहती हैं। जहां निसंतान महिलाओं ने रात भर हाथ में दिया लेकर मां बाराही से मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना की। नंद गृह में पहले काले कंबल से ढककर तीनों मूर्तियां को दूध व गंगाजल से स्नान करा कर उन्हें नए आभूषण व वस्त्र धारण कराए गए। स्नान कराते वक्त बागड़ जाति के व्यक्ति द्वारा अपनी आंखों में काली पट्टियां बांधी हुई थी। इसी जाति के लोगों को यहां पारंपरिक रूप से तीनों माताओं को स्नान कराने की जिम्मेवारी मिली हुई है। यहां से शोभायात्रा का शुभारंभ हुआ,जो निर्धारित मार्गो से होते हुए मुस्कंद ऋषि के आश्रम में पहुंची, जहां मां बाराही ने चिरनिंद्रा का वरदान प्राप्त ऋषि को अपने दर्शन देने के लिए वर्ष में आज ही के दिन आने का उन्हें वरदान दिया था। मुस्कंद ऋषि का आश्रम ऐसी ऊंचाई में है कि यहां से पंचाचुली,मानसरोवर आदि के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि इसी दिन देवादिदेव महादेव को भी मां बाराही के दर्शन करने का भी अवसर मिलता है। यहां से शोभायात्रा निर्धारित स्थानों से होते हुए नंद गृह में पहुंची, जिसे बाद में मुख्य मंदिर में यथास्थान स्थापित किया गया। जहां वर्ष भर उनकी बाहर से ही पूजा अर्चना की जाती है। शोभायात्रा में चार खाम सात थोको के लोग भी शामिल थे। यहां के सांस्कृतिक मंच में दर्शनार्थियों को देश भर की सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने का अवसर मिल रहा है। रात भर यहां सांस्कृतिक, रंगारंग कार्यक्रमों की धूम मची हुई है। देवीधुरा के बाजारों में अब बड़ी रौनक आ गई है। व्यापारियों का कारोबार काफी फल फूल रहा है।

By Jeewan Bisht

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