चंपावत। मॉडल जिला चंपावत के गर्भ में ऐसे तमाम धार्मिक स्थल छुपे हुए हैं जिनका वकायदा पुराणों में उल्लेख किया गया है। लेकिन जानकारी के अभाव में यह स्थल अभी तक श्रद्धालुओं की दृष्टि में ओझल बने हुए हैं। ऐसे धार्मिक स्थलों को रोशनी देने के लिए पहली बार किसी जिला अधिकारी द्वारा ऐसी पहल की गई है, जिसे लोग अपने मन में समाएं हुए तो थे, लेकिन आगे कुछ करने की स्थिति में वह नहीं थे। मॉडल जिले में मंदिर माला के जरिए सभी शक्तिपीठ, शिव धामों को जोड़ने का जो प्रयास किया गया था उसमें यह मंदिर जानकारी का अभाव में वंचित रह गए थे। जिलाधिकारी की इस पहल से उन मंदिरों के पुजारियों को यह यकीन हो गया है कि मॉडल जिले में पर्यटन और धार्मिक पर्यटन की दिशा में अब प्रशासनिक तौर पर एक ऐसी पहल हुई है जिससे निकट भविष्य में गुमनाम मंदिर श्रद्धालुओं से गुलजार हो जाएंगे।
पूर्णागिरि धाम जिले का प्रवेश द्वार रहा है। यहां प्रतिवर्ष लाखों लोग आते हैं। मुख्यमंत्री द्वारा यहां होने वाले मेले को वर्ष भर आयोजित किए जाने की घोषणा के बाद जिला प्रशासन न केवल अवस्थापना विकास के कार्य में जुट गया है बल्कि पूर्णागिरि धाम को वैष्णो देवी के तर्ज पर विकसित कर अब यहां आने वाले तीर्थ यात्री टनकपुर से अपने घरों को लौटने के बजाय जिले के अन्य धार्मिक स्थलों के भी दर्शन कर बाराही धाम होते हुए काठगोदाम में निकलेंगे। डीएम का मानना है कि पूर्णागिरि धाम में आने वाले श्रद्धालुओं का रुख जिले के पर्वतीय स्थलों की ओर मोड़ने से उन्हें श्यामलाताल जैसे सुरम्य स्थान के अलावा चंपावत के प्राकृतिक सौंदर्य, महादेव जी की सप्तकोशी परिक्रमा, बालेश्वर, हिंगला देवी मंदिर, गुरु गोरखनाथ जी की तपस्थली, मानेश्वर में मानसरोवर के जल का अभिषेक करने, लोहाघाट के शिव मंदिर,अखिल तारिणी मंदिर, चमू देवता मंदिर, ऊंची पहाड़ी में स्थित व्यानधुरा का शिव मंदिर, महर पिनाना के वैष्णवी शक्तिपीठ, गुरुद्वारा रीठासाहिब के अलावा बाराही धाम में उन्हें मां बाराही के दर्शन करने के अवसर मिलेंगे।
