लोहाघाट। उदासीन नया अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी सुरेश जी महाराज ने कहा सनातन धर्म की उत्पत्ति ही सृष्टि की रचना के साथ हुई है। जब तक सूर्य और चंद्रमा हमें प्रकाश देते रहेंगे तब तक सनातन धर्म अपने ज्ञान से लोगों को सदमार्ग में चलने का प्रकाश देता रहेगा। नगर के कृष्ण करुणा सदन में चल रही पुराण कथा में अपने स्वागत के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए स्वामी जी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि अभी तक यहां के लोगों ने सनातन की परंपरा को जीवंत रूप दिया हुआ है। जहां संत, महापुरुषों, विद्वानों, मातृ शक्ति का सम्मान होता है, वहां के लोगों के हृदय में स्वयं श्रद्धा भाव पैदा हो जाता है। जीवनपर्यंन्त, गौ सेवा, अन्न दान एवं गरीब बच्चों के लिए शिक्षा दान का संकल्प लिए स्वामी जी ने कहा श्रद्धा मनुष्य के मन मंदिर से निकला ऐसा भाव होता है जो हर पल उसमें समर्पण की अभिव्यक्ति करता है। जहां समर्पण है वहीं ह्रदय व आत्मा का परिचय ही श्रद्धा रूप में सामने आती है। श्रद्धा व आस्था, पाषाण पत्थर में भी भगवान के दर्शन करा देती है। धरती में माता-पिता को भगवान के रूप में भेजा हुआ है। उन्होंने कहा कलिकाल में व्यक्ति को भक्ति से ही शक्ति मिलती है।भक्ति भाव से दूर रहने वाले में इस ईश्वर का भय समाप्त हो जाता है। यही कारण है कि आज के पाश्चात्य संस्कृति में घुले मिले युवा नशे की ओर अग्रसर होकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। इससे पूर्व कथा वाचक आचार्य प्रकाश कृष्ण शास्त्री ने अपने गुरु महामंडलेश्वर का परिचय देते हुए कहा कि उनका जीवन समाज के लिए पूरी तरह समर्पित है। स्वामी जी का व्यक्तित्व इतना विशाल है कि वह हर व्यक्ति में ईश्वर के दर्शन करते हैं। यही वजह है कि उनकी देख रेख में सेवा के तमाम कार्य चल रहे हैं।